"जलती मोमबती-बुझती मशाल"
"जलती मोमबती-बुझती मशाल" चलने वाले अंगारों पर, आज बहाने बनाने लग गये ,,, हाँ ,,, छोड़ हाथों से मशाल, वो मोमबती जलाने लग गये ,,, अजीब तमाशा मॅंडी में , हर कोई तस्वीर मे आना चाहता है उल्टे सीधे कारे करके यारो , बस टीवी पर छाना चाहता है फूँक ग़रीबो की कुटिया , वो अपना महल बनाना चाहता है " इस बार - हमारी सरकार " का , वो पोस्टर छपवाना चाहता है तभी तो शहीदो की चिताओं पर, लोग रोटी पकाने लग गये ,,, हाँ ,,, छोड़ हाथों से मशाल, वो मोमबती जलाने लग गये ,,, राम सेतु - बाबरी मस्जिद पर , क्या आग लगाने निकले हैं महादेव - अल्लाह -2 चिल्ला , वो तो जनाज़ा सजाने निकले हैं लूटी हुई संस्कृति के लिए , वो क्या गदर मचाने निकले हैं अरे इंसान यहाँ तिल -2 मरता और वो गाएँ बचाने निकले हैं अब एक गाँधी के लिए, वो भगत सिंह को बरगलाने लग गये,,, हाँ ,,, छोड़ हाथों से मशाल, वो मोमबती जलाने लग गये ,,, ...