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Showing posts from September, 2012

Bhagat Singh--->दर्द- भगत सिंह (dev lohan)

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  दर्द- भगत सिंह तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह , जिस के लिए तूने जान गवाई थी लूट ली अपनो ने ही वो , जो आज़ादी तुमने बलिदनो से कमाई थी   महबूब बन गये वो सारे , जो इस देश के गद्दार है किताबो से नाम मिटाए उनके, जो देश के वफ़ादार है अपनी - २ लगी है सबको , बस वोट के सब कर्ज़दार है अपना घर कभी संबला नही , वो बने देश के ठेकेदार है कांप गई थी इंसानियत जिससे एसी तेरे अपनो ने यहाँ लूट मचाई थी तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह जिस के लिए तूने जान गवाई थी खा गया फेशन ओर नशा , तेरे देश की जवानी को हुई अपनो से नफ़रत , गले लगाया चीज़ बेगानी को पोप सुनने लगे यहाँ पर , छोड़ कर संगीत रूहानी को और "अमीरीया" क्या कहे यहाँ तो सारे भूल गये , तेरी ही कुर्बानी को , नामो - निशा नही रहा उसका , जो सपनो की नगरी तूने हमारे लिया बसाई थी तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह, जिस के लिए तूने जान गवाई थी क्यूँ दुख दर्द

ख़ूदगोर सनम

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ख़ूदगोर सनम ए देख सखा , सुन तो ज़रा , जमाना ये बड़ा ख़ूदगोर है है तू बड़ा ही चतुर सियाना या तू बहुत कमजोर है जो तू हुआ रे चतुर सियाना , तो फ़िक्र की कोई बात नही फिर तू रहेगा सबसे उपर, तेरे सामने किसीकि औकात नही हम जैसे को, तू ठगेगा , पर ये भी तेरे लिए कनात नही तू रहे खुश अपने जहाँ मे , इससे बड़े कोई सोगात नही पर मत करना तू यकीं किसी पर हसणे वाला हर कोई मुर्दाखोर है ए देख सखा , सुन तो ज़रा , जमाना ये बड़ा ख़ूदगोर है है तू बड़ा ही चतुर सियाना या तू बहुत कमजोर है गर रहा कमजोर यहाँ तू , तो जीना तुझे यहाँ ना आएगा जिंदगी है बड़ी कड़वी घुट , इसे पीना तुझे यहाँ ना आएगा ख़ुदग़रज़ो की बस्ती मे , बनना कमीना तुझे यहाँ ना आएगा भूखे शेरो से मर्ग बचाना , ए हसीना तुझे यहाँ   ना आएगा नही है जीवन शांत समुंदर , इसका तो हर पहलू ही देता जन्क्झोर है मत करना तू यकीन किसी पर , हसणे वाला हर कोई यहाँ मुर्दखोर है दिख