Bhagat Singh--->दर्द- भगत सिंह (dev lohan)
दर्द- भगत सिंह तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह , जिस के लिए तूने जान गवाई थी लूट ली अपनो ने ही वो , जो आज़ादी तुमने बलिदनो से कमाई थी महबूब बन गये वो सारे , जो इस देश के गद्दार है किताबो से नाम मिटाए उनके, जो देश के वफ़ादार है अपनी - २ लगी है सबको , बस वोट के सब कर्ज़दार है अपना घर कभी संबला नही , वो बने देश के ठेकेदार है कांप गई थी इंसानियत जिससे एसी तेरे अपनो ने यहाँ लूट मचाई थी तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह जिस के लिए तूने जान गवाई थी खा गया फेशन ओर नशा , तेरे देश की जवानी को हुई अपनो से नफ़रत , गले लगाया चीज़ बेगानी को पोप सुनने लगे यहाँ पर , छोड़ कर संगीत रूहानी को और "अमीरीया" क्या कहे यहाँ तो सारे भूल गये , तेरी ही कुर्बानी को , नामो - निशा नही रहा उसका , जो सपनो की नगरी तूने हमारे लिया बसाई थी तेरा देश वो नही रहा भगत सिंह, जिस के लिए तूने जान गवाई थी क्यूँ दुख दर्द...