मैं, बधाइयाँ और मानुषी छिल्लर
मैं, बधाइयाँ और मानुषी छिल्लर - गर्व के पल हैं, 17 साल बाद एक भारत की लड़की ने विश्व सुन्दरी के तमगे पर कब्ज़ा किया और हम सब उधेलित हो उठे, आपस में ही लग गए बधाइयाँ देने जैसे की अब हमारे दुखो का दिक्कतों का निवारण बस हो ही गया है, आज भारत ने एक ताज जीत लिया अब देश की शान में हर किसी को कसीदे पढने चाहिए, मुझे इस वजह से पढने चाहिए की मानुषी ने हमे गर्व यानि दम्ब करने का एक मोका तो दिया, अब दम्ब और गर्व में एक लकीर मात्र का फर्क है, जहाँ आप अपनी किसी नही उपलब्धि पर गर्व कर सकते है वहीँ दुसरो की उपलब्धि पर खुद को बधाइयाँ देना और दुसरे पक्ष को लगभग अनसुना कर देना दम्ब हैं, यक़ीनन तोर पर मानुषी ने मेहनत की है और उसने एक सोंदर्य प्रतियोगिता जीती है, उसके लिए वो बधाई की पात्र है, लेकिन ये एक सामान्य सी घटना है, लेकिन कुछ लोगो के लिए ये घटना असामान्य बन गई है वजह है की कुछ लोगो ने मानुषी का विरोध तो नही किया लेकिन सुन्दरता के अलग आयाम बता दिया जिन पर बहस खड़ी हो गई जो की मेरे मुल्क में बिल्कुल भी नई नही है. भारत में मोजुदा बढाई देंने वाले 95% लोग नही जानते की MISS WORLD ...